शब्दांकुर प्रकाशन

पुस्तक समीक्षा : अकेली

लेखक : रामकुमार गुप्ता
समीक्षाकार : अनिल अग्रवाल

प्रिय रामकुमार गुप्ता जी, आपकी रचित अकेली एक ऐसी लड़की/ महिला आशा की कहानी है जो अपने बचपन से ही अभावों से जूझती रही फिर अपने जीवन से निराश होने पर आत्महत्या करने जाते हुए घटित एक्सीडेंट ने जीवन मे नया सवेरा लाने के लिए अभिराम को भेजा । फिर माता पिता के निधन से टूटी आशा के जीवन मे आये बाबा के रूप में देवदूत पधारे फिर अभिराम से प्रगाढ़ सम्बन्ध होते रहे इस बीच कँवल का किरदार भी प्रवेश पा गया ।
अभिराम से शादी होने के बाद वैष्णवी नामक बच्ची के प्रवेश से जीवन सुखमय हो गया लेकिन अभिराम के निधन ने एकबार फिर आशा को तोड़ दिया लेकिन कँवल एवम उसके परिवार की मदद ने उसे फिर सम्हाला लेकिन वैष्णवी की कमी आशा को खटकती रही लेकिन आखिर आशा अपने माता पिता के साथ साथ अपने बाबा का सपना पूरा करने में अस्पताल के माध्यम से मरीजों की सेवा करने में सफल रही ।
इस कहानी की एक बात बहुत भाई मुझे कि कहानी का अंत सुखद रहा ।
आशा के स्कूली दिनों में मदन भी आशा की जिंदगी में आया और उसके कारण आशा को हुई आत्मग्लानि और फिर मदन का व्यवहार अचानक बदलना आशा के साथ एक क्रूर मजाक ही आशा को आत्महत्या के लिए प्रेरक बना ।
कहानी की तारतम्यता- कहानी के आरम्भ से लेकर अंत तक तारतम्यता बनी रही ये भी उत्सुकता बनी रही कि आगे क्या है शब्दों और भाषा का प्रयोग उच्च स्तरीय एवम सरल रखा गया है जो कि अधिकांश कहानियों में नही देखा जाता ।
जहाँ तक आशा का अतीत उसे आगामी जीवन के लिए कोई कदम उठाने से उसे डराता था लेकिन हिम्मत करके आशा ने कुछ खोने के लिए न होने की सोच के कारण स्वंय शादी का प्रस्ताव रख दिया हालांकि आशा के मस्तिष्क में यह प्रश्न नही उठा था कि कहीं सामने वाले के मन मे सन्तान होने या न होने का बिचार न आ जाय लेकिन बहुत से पुरूष सन्तान के लिए मात्र स्त्री को ही जिम्मेदार ठहराते हैं ऐसी बिना सोच के आशा ने सुखद उम्मीद लेते हुए निर्णय लिया । फिर एकमात्र सन्तान को भी बिदेश भेज कर अकेले रहना मंजूर करके भी समाज को ये गहरा सन्देश देने की कोशिश की कि पूरे जीवन मे थपेड़े खाने के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की कोशिश में लगी रही और अंतगत्वा अपने लक्ष्य में सफल भी हुई ये पर भी ज़्यादा प्रेरणा दायक बनाता है कहानी को।
कहानी का प्रवाह – कहानी का प्रवाह निरन्तर रोचक एवम उत्सुकता पूर्ण बना रहा ये उत्सुकता बनी रही कि अब आगे क्या होने वाला है ।
चरित्रों का प्रभाव एवम सन्दर्भ- कहानी के सभी चरित्रों ने अपने अपने चरित्रों के अनुरूप बेहतर होना दर्शाया है साथ ही कहानी के मूल भाव से मेल खाते हुए दिखाई देते रहे । सभी चरित्रों ने समाज को एक नई दिशा दी साथ यह भी सन्देश देने में कामयाब रहे कि बिषम परिस्थितियों में भी कामयाबी की ओर बढ़ने वाला कदम उठाने की हिम्मत बिना समाज की परवाह किये हुए उठाई ।
कहानी की त्रुटियां एवम कमजोरी – कहानी एक दम तारतम्यता में बनी रही समाज को सन्देश देने में कामयाब रही कोई लचरता दिखाई नही दी बस आशा के स्कूली समय के दौरान मदन की गलत हरकत का अंत किस प्रकार हुआ ये स्पष्ट नही हुआ । बाकी कोई कमजोरी नही देखी गई कहानी एकदम शिक्षाप्रद है ।
कहानी का मुद्रण एवम कवर- कहानी का मुद्रण एवम कवर एकदम कहानी के अनुरूप आकर्षक एवम उच्चस्तरीय है।
पुस्तक के मुद्रण के दौरान प्रूफ रीडिंग का बहुत अच्छा ध्यान रखा गया है जो पुस्तक के लेखक मुद्रक एवम प्रकाशक की दक्षता को प्रतिबिंबित करता है ।
अंत मे आपके लेखन को सलाम l

अनिल अग्रवाल मुख्य सम्पादक
खुलासा साप्ताहिक समाचारपत्र
राम नगर (उत्तराखण्ड)

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