शब्दांकुर प्रकाशन

sarson saloni aur gehun ki bali

Sarson Saloni Aur gehun Ki Bali by Pro. Tripathi Siyaraman

ISBN -

Subject -

Genre -

Language -

Edition -

File Size -

Publication Date -

Hours To Read -

Pages -

Total Words -

978-93-91546-54-0

Hindi Poetry

Nature

Hindi

1st

22 MB

April 2022

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104

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ABOUT BOOK

`सरसों सलोनी और गेहूं की बाली` एक अद्वितीय काव्य-संग्रह है और इसे पढ़कर पाठकों का भाव-विभोर हो जाना पूर्णतः स्वाभाविक है। इस संग्रह में सत्य का अत्यंत स्वाभाविक वर्णन है। विषय की विविधता इसकी अप्रतिम विशेषता है। अपने को तलाशने की चेष्टा, प्रकृति के विभिन्न रूपों में रम जाने की आतुरता के साथ ही इस संग्रह की कविताएं जीवन के मूलभूत प्रश्नों को उजागर करते हुए सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य भी करती हैं। शैली की विविधता और भाषा का संस्कृतनिष्ठ स्वरूप भी हमें प्रभावित किए बिना नहीं रहता।

ABOUT AUTHOR

लेखक का जन्म 3 दिसंबर 1930 को हुआ। उनकी एम. ए. (हिन्दी) की शिक्षा बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से 1955 ई॰ में हुई। वे डी. ए. वी. कॉलेज सीवान में 1956 में लेक्चरर नियुक्त हुये। वे यूनिवर्सिटी प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और स्नातकोत्तर शिक्षण केंद्र के प्राचार्य के रूप में कार्य करते हुए 1993 में सेवानिवृत्त हुये। संप्रति लेखन और संपादन, शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन। उनके द्वारा लिखित पुस्तकें हैं- ‘दिवंगता मां के नाम अंतिम पाती’, ‘सृष्टि एवं दृष्टि’, ‘तप्तगृह एक अनुशीलन’ तथा ‘सरसों सलोनी और गेहूँ की बाली’।

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