सुप्रसिद्ध हास्य कवि श्री हलचल हरियाणवी की गीत-गज़ल संग्रह “आदमी दोगले हो गये ” अपने आप में अनुपम पठनीय, चिंतनीय और संग्रहणीय रचना है। कवि ने चुटीले अंदाज में बड़ी गंभीर बातें कह डाली हैं। देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने की बदनीयत रखने वालों के मुंह पर तमाचा भी जड़ दिया है और रोने भी नहीं दिया है । इसे ही क्रिकेट की भाषा में ” नो बॉल पर छक्का ” कहा जाता है। ऐसे अभिनव शिल्प और शब्द विन्यास से विभूषित यह कृति- वनिता आपके श्री हस्तों में विराजमान है । एक सहृदय गुणी पाठक की तरह इसका इस्तकबाल कीजिए।