साक्षातकारकर्ता : के शंकर सौम्य
आइये बात करते हैं अंजना जी से
उत्तर – मैं अंजना मन्हास, दिल्ली पंजाब और हिमाचल के सुंदर माहौल में बचपन से ही रह रही हूँ। मेरा जन्म और पलन-पोषण दिल्ली में हुआ था, लेकिन मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय पंजाब और हिमाचल के क्षेत्रों में बिताया है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य वातावरण और लोककला ने मेरी शैली को निरंतर प्रभावित किया है।
मैंने अपनी शिक्षा दिल्ली में पूरी की और फिर वहां से मौसम विभाग में सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त किया। मेरा कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत है और मैं मौसम से संबंधित विभिन्न कार्यों में संलग्न हूँ। मैं अपने कार्य में सतत प्रगति के लिए प्रयत्नशील रूप से काम करती हूँ और अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करने के लिए समर्पित हूँ।
उत्तर – मेरा कविता लेखने का शौक स्कूल के समय से ही शुरू हुआ था। हिंदी दिवस पर स्वरचित प्रतियोगिता जैसे आयोजनों में भाग लेना मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव था। इस अवसर पर मैं हमेशा बड़े उत्साह से कविता लिखने और उसे साझा करने का मौका पाती थी। मेरी कविताएं न केवल मेरी भाषा कौशल को सुधारती थीं, बल्कि इससे मेरा स्वतंत्र विचार व्यक्त करने का भी एक माध्यम बनता था।
हर बार जब मैं प्रतियोगिता में भाग लेती, मुझे पुरस्कार मिलता था जो मेरी रूचि को और बढ़ाता था। इससे मेरा आत्मविश्वास भी मजबूत होता गया और मैं नए-नए विषयों पर लेखन करने के लिए प्रेरित होती गई। इस प्रक्रिया ने मेरी कला और साहित्य में रुचि को प्रोत्साहित किया और मेरे जीवन को सार्थक बनाने में मदद की।
कविता लेखन ने मेरे जीवन को एक सांस्कृतिक और सृजनात्मक दिशा में मोड़ा है और मैं आज भी इस कला को सजीव रखने के लिए प्रयत्नशील रूप से लगी हुई हूँ।
उत्तर – मैं अपने लेखन के माध्यम से समाज के सभी पहलुओं को समझने और साझा करने का प्रयास करती हूँ। सामाजिक मुद्दे मेरे लेखन का मुख्य क्षेत्र है, और मैं विभिन्न सामाजिक विषयों पर लेखन करके लोगों को जागरूक करने और सोचने पर प्रेरित करने का प्रयास करती हूँ।
मेरा लेखन विशेष रूप से उन संवेदनशील विषयों पर है जो मन पर गहरा असर डालते हैं। मैं विभिन्न सामाजिक मुद्दों, जैसे कि जेंडर इनेक्वलिटी, वातावरण संरक्षण, मानवाधिकार, समाजसेवा, आदि पर लिखती हूँ।
मेरा लक्ष्य है कि मेरे शब्दों से लोगों की भावनाओं को छूने और उत्तेजना करने का कारण बने, ताकि हम सभी मिलकर समाज में सुधार ला सकें। लेखन मेरे लिए एक माध्यम है जिससे मैं अपने आत्मविकास को प्रोत्साहित करती हूँ और एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में साझा करने का संकल्प करती हूँ।
उत्तर – मेरे लेखन की एक महत्वपूर्ण दृष्टि यह है कि हर कविता जो मैं लिखती हूँ, वह किसी भी सामाजिक बुराई या समस्या को दर्शाने का प्रयास करती है और उसका उद्दीपन सकारात्मक सोच के साथ होता है। मेरी कोशिश हमेशा यही होती है कि कविता के माध्यम से व्यक्त की जानेवाली समस्याओं को एक नए दृष्टिकोण से देखाया जाए और उससे नई सोच उत्पन्न हो।
कविता लेखते समय मेरा मुख्य उद्देश्य यह है कि मैं अगर किसी समस्या को उजागर कर रही हूँ, तो उस समस्या का समाधान भी प्रस्तुत करूँ। मैं विशेष रूप से इस पर ध्यान देती हूँ कि विचारकों और पाठकों तक एक सकारात्मक संदेश पहुँचे, ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन हो सके।
साहित्य का मेरा यह संदेश है कि चुनौतियों और समस्याओं का सामना करते समय हमें सकारात्मकता की दिशा में सोचना चाहिए और उन्हें परिवर्तन का एक अवसर मानना चाहिए। इसी भावना के साथ, मैं अपने पाठकों को सकारात्मक सोच और समाधान की दिशा में प्रेरित करने का प्रयास करती हूँ।
उत्तर – मेरी पसंद जीवन से जुडी कहानियों का अद्भुत समृद्धि और सांविदानिकता में है। मैं उन कहानियों को पढ़कर आम आदमी के जीवन की सामान्यता में छिपी रूचियों और जीवन के मुद्दों को समझती हूँ। मेरे लिए, इस तरह की कहानियां अपने कार्यक्षेत्र में से होने वाली सीधी और सरल बातों के माध्यम से ज्यादा विशेषज्ञता प्रदर्शित करती हैं।
मुंशी प्रेमचंद मेरे लिए एक प्रेरणास्रोत हैं, उनकी कहानियां मेरे लेखन में और भी गहराई और विविधता भरी भावनाओं की वृद्धि करती हैं। उनकी रचनाएं आम जनता के दर्द, संघर्ष, और जीवन के अद्वितीयता को सुंदरता के साथ प्रस्तुत करती हैं। उनकी भाषा और रचना कला मेरे लिए एक साहित्यिक अनुभव को निर्मित करती हैं, जिसे मैं हमेशा सुनिश्चित रूप से महसूस करती हूँ।
उत्तर – हिंदी दिवस की प्रतियोगिताओं में भाग लेना मेरे जीवन में एक अद्भूत अनुभव का एक हिस्सा बना है, जिसने मेरी प्रेरणा को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। यह एक ऐसा समय था जब मैंने अपनी भाषा, हिंदी के प्रति अपने प्रेम को साझा करने का एक सुनहरा अवसर प्राप्त किया।
इन प्रतियोगिताओं ने मुझे सामाजिक सवेंदनशील मुद्दों पर कविता लिखने और बोलने का मौका प्रदान किया है। इसमें भाग लेने के माध्यम से, मैंने विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा करने का अद्वितीय अवसर प्राप्त किया है और उन्हें कविता के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
इस अनुभव के माध्यम से मैंने नए दृष्टिकोण, विचार और भाषा के प्रति अपने संवाद को बनाए रखने का सीधा तरीका सीखा है। हिंदी दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैंने न केवल अपने लेखन कौशल को समृद्धि देने का मौका पाया है बल्कि इसने मेरी आत्मसमर्पण और सहयोग करने की भावना को भी बढ़ावा दिया है।
उत्तर – हर व्यक्ति की अपनी विशेष रूचियाँ होती हैं। कोई पढ़ना पसंद करता है, कोई लिखना, कोई गाना, कोई नृत्य, और ऐसी अनगिनत रूचियाँ हमारे समाज में हैं जो हर व्यक्ति को अद्वितीय बनाती हैं। इसलिए, हमें अपनी सभी रूचियों का सम्मान करना चाहिए।
व्यक्तिगत रूचियाँ हमें हमारे आस-पास के लोगों की अनूठी पहचान को समझने का मौका देती हैं और समृद्धि का स्रोत बन सकती हैं। कहीं बातचीत करते समय या सामूहिक घटनाओं में हमें सबको समानता और समरसता की भावना के साथ देखना चाहिए।