ISBN -
Subject -
Genre -
Language -
Edition -
File Size -
Publication Date -
Hours To Read -
Pages -
Total Words -
978-93-85776-92-2
Poetry
Nature
Hayyanvi
1st
16 MB
----
118
----
ABOUT BOOK
हरियाणवी भाषा और बोली के सिद्धहस्त कवि श्री त्रिलोक फतेहपुरी की कविताओं का संग्रह ‘यो सै म्हारा हरियाणा’ का शीर्षक नाम ही छाती ठोक के बता रहा है कि इस हरियाणा की खासियत कैसी है। हरियाणा में रहने वाले लोगों का स्वभाव, खान-पान और रहन-सहन के साथ- साथ, शहर और गांव की हालत वगैरा-वगैरा एक-एक खासियत रचनाकार ने अपनी कविताओं में समेट के धर दी है। हरियाणा की कुछ कमियां और बुराइयां भी कवि की पारखी नजर से नहीं बच पाई हैं। आज के हालात में हरियाणा की राजनीति, नेता, लोगों का धन और कुर्सी का लालच, उनके कारनामे या कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं जो कवि ने अपनी कविताओं में अंडरलाइन करे बिना छोड़ दिया हो। कवि ने हरियाणवी कविताओं में हरियाणा का जो नख शिख वर्णन किया है वह रोचक ही नहीं बल्कि तारीफ का भी हकदार है। यदि हरियाणवी बोली और हास्य दोनों का एक साथ आनंद लेना हो तो ‘यो सै म्हारा हरियाणा’ पुस्तक जरूर जरूर पढ़नी चाहिए।