शब्दांकुर प्रकाशन

Yo Sai Mhara Haryana by Trilok Chand Fatepuri

ISBN -

Subject -

Genre -

Language -

Edition -

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Publication Date -

Hours To Read -

Pages -

Total Words -

978-93-85776-92-2

Poetry

Nature

Hayyanvi

1st

16 MB

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118

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ABOUT BOOK

हरियाणवी भाषा और बोली के सिद्धहस्त कवि श्री त्रिलोक फतेहपुरी की कविताओं का संग्रह ‘यो सै म्हारा हरियाणा’ का शीर्षक नाम ही छाती ठोक के बता रहा है कि इस हरियाणा की खासियत कैसी है। हरियाणा में रहने वाले लोगों का स्वभाव, खान-पान और रहन-सहन के साथ- साथ, शहर और गांव की हालत वगैरा-वगैरा एक-एक खासियत रचनाकार ने अपनी कविताओं में समेट के धर दी है। हरियाणा की कुछ कमियां और बुराइयां भी कवि की पारखी नजर से नहीं बच पाई हैं। आज के हालात में हरियाणा की राजनीति, नेता, लोगों का धन और कुर्सी का लालच, उनके कारनामे या कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं जो कवि ने अपनी कविताओं में अंडरलाइन करे बिना छोड़ दिया हो। कवि ने हरियाणवी कविताओं में हरियाणा का जो नख शिख वर्णन किया है वह रोचक ही नहीं बल्कि तारीफ का भी हकदार है। यदि हरियाणवी बोली और हास्य दोनों का एक साथ आनंद लेना हो तो ‘यो सै म्हारा हरियाणा’ पुस्तक जरूर जरूर पढ़नी चाहिए।

ABOUT AUTHOR

त्रिलोक चंद का जन्म 4 अक्तूबर, 1959 को गांव फतेहपुर, अटेली, महेंद्रगढ़, हरियाणा में हुआ।इनके पिता का नाम श्री नंद राम और माता का नाम श्रीमती केशर देवी है। इनके पिता मजदूरी किया करते थे। इनकी शिक्षा एम.ए., बी.एड. है। ये शिक्षा विभाग हरियाणा में अध्यापक के पद पर कार्यरत रहे और लगभग 39 वर्ष सेवा उपरांत हिंदी प्रवक्ता के पद से सन् 2017 में रिटायर हुये। इनका विवाह श्रीमती संतोष देवी के साथ हुआ। ये पिछले 35 वर्षों से लेखन कार्य कर रहे हैं।

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