‘इश्क़ फकीरी’ इश्क़ की मौज में बहता एक दरिया है। न जाने कितनी भावनाओं की लहरें लेखिका के मन में मचलती होंगी जो ‘इश्क़ फ़की़री’ में अपना वज़ूद दिखलाती हैं। इश्क़ के एहसासों को टटोलती बयां करती ‘इश्क़ फ़क़ीरी’ एक खूबसूरत सफ़र है। ‘इश्क फ़क़ीरी’ को पढ़ने वाला खुद इसमें डूबता उतरता नए नये मंज़रो से रूबरू होता जाता है।
गीता भाटिया का जन्म (उत्तर प्रदेश) जो अब उत्तराखंड के नाम से जाना जाता है के ऋषिकेश शहर में 13 अप्रैल 1954 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री खेमचंद भाटिया एवं माता श्रीमती संतोष भाटिया था। उन्होंने देहरादून के M.K.P. कालेज से B.Sc. तत्पश्चात M.A अर्थशास्त्र की परीक्षा उत्तीर्ण की। शादी के बाद वह दिल्ली स्थानांतरित हो गई पति का नाम श्री सुदेश कुमार भाटिया दिल्ली के एक व्यवसायी है। लिखने का शौक कालेज से ही शुरू हो गया था कालेज पत्रिका में भी रचनाएँ प्रकाशित होती रही। उनकी अब तक चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं सभी एमेजोन पर उपलब्ध हैं।