शब्दांकुर प्रकाशन

Kanchan Kalash by  Kavita Kavya ‘sakhee’

ISBN -

Subject -

Genre -

Language -

Edition -

File Size -

Publication Date -

Hours To Read -

Pages -

Total Words -

978-93-91546-04-5

Poetry

Nature

Hindi

1st

36.4 MB

july 2022

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137

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ABOUT BOOK

संकलन के गीत एक सुखद आश्चर्य के रूप में सुश्री ‘काव्या’ जी के बहु-आयामी व्यक्तित्व की गवाही देते हैं जो इन गीतों में अपनी सम्पूर्ण परिपक्वता में परिलक्षित हुई है। यह भी विचाराधीन है कि संग्रह में ‘गीत’ हैं, ‘कविताएं’ नहीं जो उन्हें गेय एवं श्रेय दोनों बनाती हैं। संकलन की विशेषता इसमें नये छंदो का विधान तथा काव्यात्मक वितान है, जिनमें गीत, चौपाई, सखी छंद, आंसू छंद, माहिया, ओज, दिग्पाल, गीतिका इत्यादि समाविष्ट हैं। उदाहरणार्थ, ‘गीत की यह , गली है बहुत ही भली’, ‘नैन मूंदे सखी अब तनिक मै थकी’ एवं ‘कृष्ण की बांसुरी झर रही माधुरी’ इत्यादि।

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