मिट्टी से देह की गंध तक कवयित्री मधु श्री जी की प्रथम काव्य-कृति है। जिसमें उनकी बहुमुखी काव्य-प्रतिभा की झलक मिलती है विभिन्न खंडों में विभक्त इस कृति में 23 दोहे सात मुक्तक, 19 कुंडलियां तथा कई दर्जन कविताएं शामिल हैं।
लेखिका भूतपूर्व रेडियो कलाकार दिल्ली, पद्मश्री उस्ताद हफ़ीज़ अहमद खान साहब की शिष्या, गद्य के अतिरिक्त पद्य जैसे, गीत, नवगीत, दोहे, पद, कुंडलियाँ लिखती हैं। ‘श्री कृष्ण सुदामागाथा’ खंडकाव्य सृजन की अंतिम प्रक्रिया में है। काव्यरचनाएँ, आलेख और कहानियां लघुकथाएं पत्रिकाओं में प्रकाशित, पुरस्कृत होती रहीं हैं। दो साझा संकलन ‘बाल विश्व’ (बाल काव्य साझा संकलन ) तथा ‘नारी हूँ मैं’ (नारी प्रधान साझा संकलन) में प्रकाशन । उनका एक कविता संग्रह ‘मिट्टी से देह की गंध तक’ प्रकाशित हो चुका है।गीत, गीतिका व अन्य छंद रचनाओं पर पुस्तकें प्रकाशित करने की प्रक्रिया चल रही है।