शब्दांकुर प्रकाशन

Nirmal Bhgya by Sabhachand dublana

ISBN -

Subject -

Genre -

Language -

Edition -

File Size -

Publication Date -

Hours To Read -

Pages -

Total Words -

978-93-85776-94-6

Short Stories

Nature

Hindi

1st

40 MB

April 2021

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84

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ABOUT BOOK

“निर्मल भाग्य” पुस्तक में लेखक की मौलिक कहानियाँ हैं- समीता की सगाई, सुजाता-हाय, जुबां-बेजुबां, पुनर्मिलन, निर्मल भाग्य, मेहनत का फल। लेखक ने इन कहानियों में सामाजिक परिवेश में प्रचलित भली-बुरी प्रथाएं, सामाजिक बुराइयां, विघटनकारी परिस्थितियाँ, दूषित परम्पराएं, रीति रिवाज आदि के सूक्ष्म से स्थूल घटनाक्रम का सुंदर दृश्य दिखाने का सफल प्रयास किया है। सभी कहानियों का कथानक मार्मिक व रोचक बन पड़ा है। पात्र ग्रामीण परिवेश से जुड़े हैं। मेहनती, वीर, संघर्षशील, महत्वाकांक्षी आदि अनेक गुणों को प्रस्तुत करते हैं। पात्र चरित्र चित्रण की अनेक विधाओं की कसौटी पर खरे उतरते हैं। भाषा शैली आकर्षक, सरल, सरस व समृद्ध है। भाषा मुहावरों, लोकोक्तियों व अलंकारों से सुशोभित है। सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं। पाठकगण इन कहानियों को पढ़ कर अवश्य लाभान्वित होंगे।

सभाचंद जी का जन्म 09 जनवरी, 1961 को गाँव दुबलाना, खंड सिहमा, जिला महेन्द्रगढ (हरियाणा) में हुआ। इनके पिता का नाम श्री गहाड़ सिंह और माता का नाम श्रीमती मनभा देवी है। इनके पिता भारतीय थल सेना में बतौर सिपाही भारत-पाक युद्ध- 1965 युद्ध क्षेत्र में भारत माँ की रक्षा करते हुए शहीद हो गये। माता जी कर्मठ व मेहनती गृहिणी हैं। इनकी शिक्षा एम.ए. बी.एड. है। ये कृषि विभाग, हरियाणा में बतौर आशुलिपिक (हिन्दी) रहे। ये शिक्षा विभाग, हरियाणा में सामाजिक विज्ञान मास्टर के पद पर रहे। लगभग 36 वर्ष सरकारी सेवा उपरांत प्रवक्ता (अंग्रेजी) के पद से सन् 2019 में सेवा निवृत्त हुये। इनका विवाह श्रीमती कमलेश देवी के साथ हुआ जो साधारण, मेहनती व समझदार महिला थीं। हृदय गति रुक जाने के कारण दिनांक 06 नवम्बर, 2015 को उनका निधन हो गया। ये पिछले 30 सालों से लेखन कार्य कर रहे हैं। इनकी रुचि कविता, कहानी, उपन्यास आदि के लेखन कार्यों में रही है। इनकी पुस्तकें- “प्रथम पाठशाला” काव्य संग्रह, “कर्मफल” उपन्यास, “कमलेश कुंज” कविता संग्रह एवं “Hope Against Hope”, a collection of poems प्रकाशित हो चुकी हैं। कहानी संग्रह व कविता संग्रह भी प्रकाशन के लिए तैयार हैं। साहित्य संस्कृति मंच, अटेली, जिला महेन्द्रगढ, हरियाणा द्वारा “साहित्य श्री” सम्मान से इनको सम्मानित किया है। हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कविताएँ, कहानियाँ लिखते हैं। ये वीर रस, सामाजिक, प्राकृतिक, पारिवारिक आदिक कविताएँ लिखते हैं। इनकी भाषा शैली बहुत ही सरल, सरस व भावपूर्ण है।

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