दोहाकार: प्रो. विश्वम्भर शुक्ल
प्रो. विश्वम्भर शुक्ल की काव्य कृति ‘वन्दे भारत मातरम्’ एक ऐसी किताब है जो देशभक्ति, भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को गीतों के जरिए आम लोगों तक पहुँचाती है। ये किताब सिर्फ एक साहित्यिक रचना नहीं है, बल्कि एक ऐसा आलम है जिसमें भारत की महानता, उसका गौरवशाली इतिहास, आज की ताकत और आने वाले कल की उम्मीदें साफ झलकती हैं। प्रो. शुक्ल, जो एक मशहूर साहित्यकार और गीतकार हैं, ने इस किताब में अपने दिल से निकले देशप्रेम को इतने आसान और प्यारे अंदाज में पेश किया है कि हर कोई इसे पढ़कर या सुनकर गर्व और जोश से भर जाता है। ये समीक्षा इस किताब के हर पहलू को आम बोलचाल में समझाने की कोशिश है, ताकि इसे हर कोई आसानी से समझ सके।
‘वन्दे भारत मातरम्’ के गीत देशभक्ति का पूरा नक्शा खींचते हैं। इन गीतों में भारत की पुरानी शान, उसकी संस्कृति, प्रकृति की खूबसूरती, आजादी के लिए जान देने वालों की कुर्बानियाँ और देश की आध्यात्मिक ताकत को बहुत खूबसूरती से बयान किया गया है। प्रो. शुक्ल ने इन गीतों में न सिर्फ बीते हुए वक्त की तारीफ की है, बल्कि आज की चुनौतियों और भविष्य की उम्मीदों को भी जोड़ा है। मिसाल के तौर पर, “अद्भुत भारत देश हमारा” गीत को लें। इस गीत में भारत को एक ऐसा खास और पवित्र देश बताया गया है, जिसे देखकर लगता है जैसे ये गीत पूरे भारत की परिक्रमा कर रहा हो। ये गीत इतना प्यारा और गहरा है कि इसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
इसी तरह, “पूरा हिंदुस्तान ज़रूरी” गीत में देश को एक रखने की बात बहुत जोरदार तरीके से कही गई है। इसमें जात-पात और धर्म के भेद को नकारते हुए एक साफ संदेश दिया गया है कि “जाति धर्म में देश न बाँटो, पूरा हिंदुस्तान ज़रूरी।” आज के वक्त में जब समाज में बँटवारा बढ़ रहा है, ये गीत एक बड़ी सीख देता है। प्रो. शुक्ल की सोच साफ है कि देश के हित में किसी भी तरह का भेदभाव ठीक नहीं। ये गीत न सिर्फ देश को जोड़ने की बात करते हैं, बल्कि लोगों को एकजुट रहने का हौसला भी देते हैं।
इस किताब में हर तरह के गीत हैं। जागने वाले गीत जो लोगों में जोश भरते हैं, उत्साह बढ़ाने वाले गीत जो हिम्मत देते हैं, संस्कृति की बात करने वाले गीत जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं, कुर्बानी की कहानियाँ जो शहीदों को याद दिलाती हैं, प्रकृति की तारीफ करने वाले गीत जो भारत की खूबसूरती दिखाते हैं, शांति के गीत जो सुकून देते हैं, जोश भरे गीत जो लड़ने की ताकत देते हैं, और पर्यावरण की चिंता करने वाले गीत जो हमें प्रकृति बचाने की याद दिलाते हैं। इतने सारे अलग-अलग गीत होने की वजह से ये किताब हर किसी के लिए कुछ न कुछ लेकर आती है।
ये गीत सिर्फ देश की तारीफ ही नहीं करते, बल्कि समाज में जो कमियाँ हैं, उन पर भी रोशनी डालते हैं। मिसाल के तौर पर, कुछ गीत उन मुद्दों की बात करते हैं जिन पर हमें ध्यान देने की जरूरत है, जैसे गरीबी, अशिक्षा या पर्यावरण का नुकसान। प्रो. शुक्ल ने इन गीतों में सिर्फ देश का गुणगान नहीं किया, बल्कि ये भी बताया कि हमें अपने देश को और बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए।
प्रो. शुक्ल के गीतों का लिखने का तरीका बहुत आसान और दिल को छूने वाला है। इन गीतों में शब्दों का ऐसा जादू है कि वो सीधे दिल में उतर जाते हैं। ताल, लय और भाव इतने अच्छे से बंधे हैं कि गीतों को सुनते ही मन में एक संगीत सा बजने लगता है। भाषा इतनी सरल और मीठी है कि कोई भी इसे आसानी से समझ सकता है और गुनगुना सकता है। कुछ गीत थोड़े लंबे हैं, लेकिन फिर भी उनमें कहीं ढीलापन नहीं है। हर शब्द, हर पंक्ति में एक ताकत और भाव भरा हुआ है।
ये गीत सुनने और पढ़ने वालों को खुशी और जोश से भर देते हैं। ऐसा लगता है कि प्रो. शुक्ल ने इन गीतों को अपने पूरे दिल से लिखा है। हर गीत में एक खास राग है, जो अपने आप पैदा होता है। ये गीत इतने प्यारे हैं कि इन्हें गाते वक्त या पढ़ते वक्त मन खुश हो जाता है और देश के लिए कुछ करने का मन करता है।
‘वन्दे भारत मातरम्’ का सबसे बड़ा मकसद है लोगों में देश के लिए प्यार और समर्पण जगाना। इन गीतों में भारत का गौरवशाली इतिहास है, आज की बड़ी पहचान है और भविष्य की उम्मीदें हैं। “आँखों में प्रखर रश्मियाँ हैं” जैसे गीत नए भारत को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। ये गीत कहते हैं कि हमें अपने देश को नई ऊँचाइयों तक ले जाना है, तूफानों से लड़ना है और मुश्किलों को हँसकर पार करना है।
साथ ही, इस किताब में सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को बहुत सम्मान दिया गया है। कुछ गीत उनके बलिदान को याद करते हैं और बताते हैं कि उनके कारण ही हमारा देश सुरक्षित है। प्रो. शुक्ल कहते हैं कि ऐसा देश, जिसके सैनिक इतने बहादुर हैं, उसे कोई हरा नहीं सकता। ये गीत हमें अपने सैनिकों पर गर्व करना सिखाते हैं और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देते हैं।
ये किताब आज के वक्त में बहुत जरूरी है। आज जब दुनिया में भारत का नाम ऊँचा हो रहा है, हमें अपने देश पर गर्व करना चाहिए। लेकिन साथ ही, हमें ये भी समझना चाहिए कि देश को और बेहतर बनाने के लिए हमें एकजुट रहना होगा। प्रो. शुक्ल के गीत हमें यही सिखाते हैं। ये गीत इतने आसान और गाने लायक हैं कि इन्हें हर कोई गुनगुना सकता है। ये किताब देशभक्ति का जज्बा जगाने में पूरी तरह कामयाब है।
‘वन्दे भारत मातरम्’ एक ऐसी किताब है जो भारत के हर रंग को अपने गीतों में समेटती है। प्रो. शुक्ल ने इसमें अपने देश के लिए प्यार और भरोसा दिखाया है। ये किताब लोगों को प्रेरणा देगी और देशभक्ति के गीतों को हमेशा गुनगुनाने के लिए मजबूर करेगी। इस शानदार रचना के लिए प्रो. शुक्ल को ढेर सारी शुभकामनाएँ। “शब्दांकुर प्रकाशन” की टीम को भी शुक्रिया, जिन्होंने इसे इतने अच्छे तरीके से छापा। ये गीत-संग्रह देश के सैनिकों को समर्पित है और हर पाठक के प्यार का हकदार है।
आखिर में, ये कहना ठीक होगा कि ‘वन्दे भारत मातरम्’ सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक ऐसा गीत-संग्रह है जो हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की आग जला सकता है। ये गीत हमें अपने देश की महानता याद दिलाते हैं और उसे और ऊँचा उठाने की प्रेरणा देते हैं। प्रो. शुक्ल का ये काम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक तोहफा है।