शब्दांकुर प्रकाशन

Dr Rajvinder Kaur

नाम : डॉ राजविन्दर कौर
पति का नाम : श्री गुरदीप सिंह
जन्म तिथि : 16 जुलाई
जन्म स्थान : सुल्तानपुर लोधी,पंजाब
शिक्षा : पीएचडी, हिन्दी
अभिरुचि : लेखन, साहित्य, संगीत
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर, उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड सरकार

लेखिका परिचय

डॉ राजविन्दर कौर उत्तराखंड सरकार में उच्च शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी के पद पर कार्यरत हैं तथा हिन्दी विभागाध्यक्ष भी हैं। वे उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के अध्धयन केंद्र सितारगंज की समन्वयक भी हैं। इसके साथ ही वे शोध निर्देशक का कार्यभार भी निर्वहन कर रही हैं। लेखन में भी सक्रिय हैं। पिछले साल इनका एक कविता संग्रह “पेपरवेट” प्रकाशित हो चुका है। दो अन्य पुस्तकों पर कार्य चल रहा है।

लेखन

वो इस क़दर अदा से मुस्कुराए
किसी की जान ही तो है जाए तो जाए

तितलियां गुलमोहर और जुगनू
सब उसके (ख़ुदा) आग़ोश में पलते हैं
रुत बहार ही तो है जाए तो जाए

हम तो ग़म की स्याह रातों के साथी हैं
हमारी रौशनी तो जुगनुओं से है
सूरज ही तो है डूब जाए तो जाए

हर आँसू इक ख्वाब से भरा है,
मेरा जज्बा है जो फिर भी खड़ा है।
ख्वाबों के महल की हकीकत वो न जाने,
ख्वाब ही तो है टूट जाए तो जाए।

छोड़कर रंज ताअल्लुकात निभाना न आया
उसकी आँखों को मगर डबडबाना न आया
मेरे जज़्बातों से वास्ता नहीं उसे
मेरी आँख ही तो है भर आए तो आए

शाम का मंज़र धुआँ धुआँ सा क्यों है
उसके मेरे बीच फासला सा क्यों है
कैसी फ़िजा है वतन में रखवालों को होश नहीं
किसी गरीब का घर ही तो है जल जाए तो जाए

मज़हब इंसान में फ़ासले बढ़ा रहे हैं
दिन मगर किस तरह से अच्छे आ रहे हैं
किस तरह सम्भाले खुद को वो फ़रिश्ता नहीं है
इंसान ही तो है बहक जाए तो जाए

सम्पर्क

फोन : 9759912434
ईमेल : rajvinderkaur186@gmail.com
पता : राजकीय महाविद्यालय सितारगंज, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड

शेयर करें
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
Register!
Menu