`सरसों सलोनी और गेहूं की बाली` एक अद्वितीय काव्य-संग्रह है और इसे पढ़कर पाठकों का भाव-विभोर हो जाना पूर्णतः स्वाभाविक है। इस संग्रह में सत्य का अत्यंत स्वाभाविक वर्णन है। विषय की विविधता इसकी अप्रतिम विशेषता है। अपने को तलाशने की चेष्टा, प्रकृति के विभिन्न रूपों में रम जाने की आतुरता के साथ ही इस संग्रह की कविताएं जीवन के मूलभूत प्रश्नों को उजागर करते हुए सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य भी करती हैं। शैली की विविधता और भाषा का संस्कृतनिष्ठ स्वरूप भी हमें प्रभावित किए बिना नहीं रहता।