शब्दांकुर प्रकाशन

Vivek Kumar Singh

पूरा नाम : विवेक कुमार सिंह
पिता का नाम : श्री रणजीत बहादुर सिंह
जन्मतिथि: 1986-10-04
जन्म स्थान : हलद्वानी, नैनीताल (उत्तराखंड)
वर्तमान शहर: नोएडा
शिक्षा : B.Arch
रुचियाँ: लेखन, पढ़ना, स्केचिंग, डिज़ाइनिंग, संगीत
व्यवसाय: नौकरी (वरिष्ठ वास्तुकार/स्टूडियो प्रमुख)

About Author :

मेरा जन्म दो बड़ी बहनों के बाद, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी शहर में 04-10-1986 में हुआ था | मेरे पिता श्री रणजीत बहादुर सिंह, डाक विभाग में राजपत्रित अफसर थे, जो 2016 में सेवानिवृत्त हुए हैं | मेरी माता श्रीमती कृष्णा सिंह गृहिणी हैं, परन्तु उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से साहित्य और दर्शन शास्त्र की पढ़ाई की है और मेरी साहित्य में रुचि, मुझे अपनी माता जी से ही विरासत में मिली हैं | मैं उत्तराखण्ड में ही पला-बड़ा हूँ और बारहवीं तक की शिक्षा भी वहीं हुई है, यद्यपि मेरे पूर्वज पूर्वी उत्तर प्रदेश के “बलिया” ज़िले से हैं | मैं हमेशा से एक मेधावी छात्र रहा हूँ | मैंने 10वीं और 12वीं, रुद्रपुर, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखण्ड से पूरी कीं हैं, जिनमें मैं उत्तराखण्ड बोर्ड के प्रदेश के प्रथम 25 मेधावी छात्रों की योग्यता सूची में रहा हूँ |
मैं विज्ञान का छात्र रहा था और पढ़ाई पूरी करके मैं वास्तुकार (Architect) बनना चाहता था, अतः 2004 में 12वीं पूरी करके 2005 में मैंने UPTU (Uttar Pradesh Technical University) (जो आज-कल AKTU के नाम से जानी जाती है) की प्रवेश परीक्षा में प्रदेश में 63वाँ स्थान प्राप्त करके प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध और देश के प्रमुख आर्किटेक्चर कॉलेजों में से एक, GCA (Government College of Architecture), Lucknow में दाखिला लिया | यह कॉलेज आज-कल Faculty of Architecture of Abdul Kalam Technical University, के नाम से प्रसिद्ध है |
2011 में प्रथम श्रेणी में विश्वविद्यालय से “Bachelor of Architecture” कि उपाधि लेकर मैं आर्किटेक्ट बन गया और नोएडा से मैंने आजीविका शुरू की | आज मैं नोएडा कि एक प्रसिद्ध और 25 वर्ष पुरानी एक कम्पनी में बतौर “Design Studio Head” कार्यरत हूँ | अपने अभी तक के 13 वर्षों के कार्यकाल में मैंने अपनी कम्पनी के लिए कई सरकारी और निजी भवनों का डिज़ाइन किया है, जैसे अस्पताल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक भवन, कार्यालय भवन इत्यादि | साथ ही साथ, अपनी कम्पनी के लिए कई डिज़ाइन पुरस्कार भी जीते हैं, जिस कारण पिछले 13 वर्षों में कई बार पदोन्नति प्राप्त करके मैं “Design Studio Head” के पद तक पहुँचा हूँ | मेरी पत्नी “श्रीमती नेहा गोयल”, जिनसे मेरा विवाह 2016 में हुआ था, नोएडा की ही एक दूसरी कम्पनी में बतौर “Senior Architect” कार्यरत हैं |

Representative Work :

इसके आगे अब कैसे लिखूँ 
गहन विचारों की एक नौका, भवसागर में भटकती रहती है
मानो मेरी कलम की स्याही, हर पहर टपकती रहती है
फिर कागज़ पे लिखने बैठूँ , तो एक बूँद वहाँ गिर जाती है
ध्यान से देखूँ बूँद को जब, वो पृथ्वी सी बन जाती है
फिर पृथ्वी के सारे मंज़र, दिखने और खोने लगते हैं
भोर-शाम और रात-दिन, कागज़ पे होने लगते हैं
अनन्त अब इस समय काल से, तिनके सा एक पल कैसे चुनूँ
एक बूँद में लिख कर सारी दुनिया, इसके आगे अब कैसे लिखूँ
मेरी कलम की हर अभिलाषा, एक आकार सा लेने लगती है
मानो मन में इच्छाओं की, एकमूरत सी बनने लगती है
फिर कागज़ पे लिखने बैठूँ , तो वो मूरत पूरी हो जाती है
ध्यान से देखूँ मूरत को जब, वो नर्तकी बन जाती है
कागज़ को अपना मंच बनाकर, वो नृत्य सा करने लगती है
थिरकते उसके बदन से फिर, इच्छाएँ टपकने लगती हैं
अनन्त इच्छाओं की इस वर्षा से, कोई एक बूँद मैं कैसे चुनूँ
एक पल में लिख कर सारी इच्छाएँ , इसके आगे अब कैसे लिखूँ
भूली यादों की एक सरिता, मुझमें विचरण करती रहती है
मानो यूँ ही बहते बहते वो, मेरी स्याही में मिलती रहती है
फिर कागज़ पे लिखने बैठूँ, तो एक नहर वहाँ बह जाती है
ध्यान से देखूँ नहर को जब, वो सागर में विलीन हो जाती है
फिर भूले बिसरे सारे पल, इस पल में दिखने लगते हैं
और पलक झपकते सारे पल, कागज़ की गहराई में खोने लगते हैं
अनन्त इस सागर से मैं, कोई एक याद अब कैसे चुनूँ
एक पल में लिख के सारी यादें, इसके आगे अब कैसे लिखूँ

सम्पर्क

Phone No : 95991 64329
Email Address : writer.viveksingh@gmail.com
Address : 803, KM-11, Jaypee Kosmos, Sector-134, Noida-201304

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