शब्दांकुर प्रकाशन

Zindagi Muskurayegi by Ashok Kashyap

ISBN -

Subject -

Genre -

Language -

Edition -

File Size -

Publication Date -

Hours To Read -

Pages -

Total Words -

978-93-85776-77-9

Poetry

Nature

Hindi

1st

2MB

january 2021

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108

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ABOUT BOOK

ज़िंदगी मुस्कुराएगी’ गीत-गीतिका संग्रह में कुछ रचनाएँ ऐसी हैं जिनमें लेखक ने बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने की कोशिश की है और कल्पना की बहुत ऊँची उड़ान भरी है। जैसे ‘ज़िंदगी की जीत’ नामक गीत में विरोधाभासी परिस्थितियों से समझौता करके सफलता पाने के बाद की बात की गई है। ‘सूरज की छाँव में तारों की धूप में, जीत ली है हमने ज़िंदगी अंधियारे रूप में’ दूसरी तरफ कुछ रचनाएँ बहुत सीधी-सादी हैं। जो सपाटबयानी की तरह अपनी बात कहती हैं। कुछ बाल गीत कहे जा सकते हैं क्योंकि ये मित्रों के अनुरोध पर उनके बच्चों के स्कूल की कविता प्रतियोगिता के लिए लिखे थे। ‘आज हुए ऋतुराज पहेली’ नामक गीत एक फेसबुक कविता प्रतियोगिता का अंजाम है। ये शीर्षक उन्हीं ने दिया था। ब्रज का लोकगीत ‘भारत सरकार’ की वार्षिक संगीत, नृत्य व लघु नाटक प्रतियोगिता के लिए लिखा गया था। ग़ज़लों में ‘छुपना पड़ा’ और ‘बवंडर’ नाम की ग़ज़ल मुशायरे के लिये दिये गए तरही मिसरे पर कही गई हैं। ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ में मुझे बहुत से सहकर्मी बहुत ईमानदार और अपने कर्तव्य के प्रति बहुत सजग और सत्यनिष्ठ मिले और हर महीने इनमें से कोई-न-कोई सहकर्मी सेवानिवृत्त होता ही रहता था। इसे ध्यान में रखकर कई गीत लिखे हैं।

ABOUT AUTHOR

अशोक कश्यप का जन्म 09 जुलाई 1970 को बुलंद्शहर जिले (उत्तर प्रदेश) के जहंगीराबाद कस्बे के पास एक छोटे से गाँव बझेडा में एक मजदूर परिवार में हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती परमेश्वरी देवी तथा पिता का नाम श्री टीकाराम कश्यप हैं। इनकी आरंभिक शिक्षा गांव में ही हुई।

जब वे 15 साल के हुए तभी से पढाई के साथ घर-परिवार की जिम्मेदारी भी उठाने लगे। इसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। अशोक कश्यप ने पारिवारिक कर्ज़, गरीबी, बेकारी, लाचारी, को पंद्रह साल की उम्र में ही देख लिया था। इसीलिए उनके ये अनुभव एक जबर्दस्त सचाई लिए हुए उनकी रचनाओं में झलक उठते हैं।

1996 में उनका विवाह श्रीमती सरोज बाला कश्यप के साथ दिल्ली में ही हुआ। वे सुशिक्षित महिला हैं और दिल्ली में ही जिला न्यायालय में उच्च पद पर कार्यरत हैं। उनकी दो संताने हैं– श्री अभिनव कश्यप, जो सोफ्ट्वेयर इंजीनियर हैं तथा दीपाली कश्यप जो डाक्टर हैं।

1990 में बी.एस.सी करने के बाद अशोक कश्यप गांव बझेडा से दिल्ली आये तथा एक स्थानीय कोचिंग सेंटर में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी तथा बी.एड. और एम.ए. किया। अंत में 1994 में वो मौसम विज्ञान विभाग के मुख्यालय, लोदी रोड, नई दिल्ली में मौसम वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए।

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